केशवानंद बनाम केरल राज्य मामले की पूरी कहानी सरकार की भड़ती शक्ति की सीमा को निर्धारित करने तथा सविंधान की सर्वोच्चता को बनाए रखने में 'केशवानंद बनाम केरल राज्य' मामले की भूमिका को भले ही किसी पाठ्यक्रम में न पढ़ाया जाता हो परन्तु यही वह समय था जिसने संविधान के माध्यम से सरकार की न्यायिक समीक्षा की तथा सविंधान को पुनर्जीवित करने जैसा कार्य किया। केरल में 'एडनीर मठ' जो की हिन्दू मठ है, का इतिहास लगभग 1200 वर्षों पुराना है इस मठ की स्थापना नवी सदी में दक्षिण भारत के धार्मिक समाज सुधार आंदोलन तथा अद्वैत वेदांत दर्शन के गुरु 'शंकराचार्य जी' के शिष्य 'तोतकाचार्य' ने किया था। 1970 अथार्थ मामले के समय इस मठ के संत 'केशवानंद भारती जी' थे।इस मठ के द्वारा आध्यत्मिक से पृथक कई व्यवसाय भी किये जाते थे, जिससे मठ का भरणपोषण किया जाता था। इतने लम्बी अवधि के दौरान मठ ने काफी बड़ी मात्रा में भूमि क्षेत्र को मठ के अंतर्गत ले रखा था। केरल सरकार ने इसी समय भूमि सुधार हेतु राज्य में कुछ कानूनों को लागु कर मठ की जमीन को अधिगृहित कर लिया। केशवानंद को विधि के जानकार...